जो माँगे ठाकुर अपने ते
वह ही सौ देवे
नानक दा सुनूक ते
जो हॉवे हो सच हॉवे
दर्द की कतार कहे
पाऊँ के छालों से
दर्द की कतार कहे
पाऊँ के छालों से
जाने ना दीजो रब्बा
यकीन ख्यालों से
मेरी लगन को राह में तू
थकने ना दे
दूर बहुत है मुझसे
शहर तेरा
दर दर पहिरे
सज धज के मेरा जूनून
तू ना मिले
दर दर पहिरे
सज धज के मेरा जूनून
तू ना मिले
दर दर पहिरे..
ख़्वाबों की पाई पाई को
क्या जवाब दूँ तन्हाई को
जाने कैसा रोग लगा
मेरी नाग जैसी किस्मत की लिखायी को
ए चाँद की रौशनी
जाके कहियो
नज़रों से छुआ है तुझे
अब यह रौशनी
मेरी नदीदी आँखों की
प्यास बुझाए
मेरी लगन को राह में तू
थकने ना दे
दूर बहुत है मुझसे
शहर तेरा
दर दर पहिरे
सज धज के मेरा जूनून
तू ना मिले
दर दर पहिरे
सज धज के मेरा जूनून
तू ना मिले
दर दर पहिरे..
दर दर पहिरे..
दर दर पहिरे..
दर दर पहिरे..
दर दर पहिरे..
दर दर पहिरे..